भूख से रुसन चिराग
भुझा नहीं आंधियों में
हमराही बदलते गए, बीछ्रते गए, भटकते गए,
वो चलता गया,
अडिग, अथक,
पर थका जब समेत अपना सामान,
यूँ वो साढ़े मौन गया,
कोई न जान पाया ,
कौन था अवि, आज कौन गया ....
Friday, April 2, 2010
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